Saturday, 1 September 2018

Moral Stories By Swamiji Vivekanand, Adhunik Adhyatmik Purush

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Dhyan,Yog,aur Adhunik Adhyatmikata ke agrsara, swami Vivekanand ji ka pura jivan hi vicharo ki pravahit dhara ke saman hai.

Great Moral Stories By-Swami Vivekanand ji



  • देने का आनंद पाने के आनंद से बड़ा होता है -स्वामी विवेकानंद

भ्रमण एवं भाषणों से थके हुए स्वामी विवेकानंद अपने निवास स्थान पर लौटे। उन दिनों वे अमेरिका में एक महिला के यहां ठहरे हुए थे। वे अपने हाथों से भोजन बनाते थे। एक दिन वे भोजन की तैयारी कर रहे थे कि कुछ बच्चे पास आकर खड़े हो गए। 

उनके पास सामान्यतया बच्चों का आना-जाना लगा ही रहता था। बच्चे भूखे थे। स्वामीजी ने अपनी सारी रोटियां एक-एक कर बच्चों में बांट दी। महिला वहीं बैठी सब देख रही थी। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। आखिर उससे रहा नहीं गया और उसने स्वामीजी से पूछ ही लिया- 'आपने सारी रोटियां उन बच्चों को दे डाली, अब आप क्या खाएंगे?'
स्वामीजी के अधरों पर मुस्कान दौड़ गई। उन्होंने प्रसन्न होकर कहा- 'मां, रोटी तो पेट की ज्वाला शांत करने वाली वस्तु है। इस पेट में न सही, उस पेट में ही सही।' देने का आनंद पाने के आनंद से बड़ा होता है।

  • स्वामी विवेकानंद जी जैसा पुत्र -

एक बार जब स्वामी विवेकानंद अमेरिका गए थे, एक 

महिला ने उनसे शादी करने की इच्छा जताई. 

जबस्वामी विवेकानंद ने उस महिला से ये पुछा कि आप ने ऐसा प्रश्न क्यूँ किया?

स महिला का उत्तर था कि वो उनकी बुद्धि से बहुत 

मोहित है.और उसे एक ऐसे ही बुद्धिमान बच्चे कि 

कामना है. इसीलिए उसने स्वामी से ये प्रश्न कि क्या 

वोउससे शादी कर सकते है और उसे अपने जैसा एक 

बच्चा दे सकते हैं?

उन्होंने महिला से कहा कि चूँकि वो सिर्फ उनकी बुद्धि 

पर मोहित हैं इसलिए कोई समस्या नहीं है. उन्होंने कहा 

“मैं आपकी इच्छा को समझता हूँ. शादी करना और इस 

दुनिया में एक बच्चा लाना और फिर जानना कि वो 

बुद्धिमान है कि नहीं, इसमें बहुत समय लगेगा. इसके 

अलावा ऐसा हो इसकी गारंटी भी नहीं है. इसके बजाय, 

आपकी इच्छा को तुरंत पूरा करने हेतु मैं आपको एक 

सुझाव दे सकता हूँ. मुझे अपने बच्चे के रूप में स्वीकार 

कर लें .इस प्रकार आप मेरी माँ बन जाएँगी. और इस 

प्रकार मेरे जैसे बुद्धिमान बच्चा पाने की आपकी इच्छा 

भी पूर्ण हो जाएगी.“

🙏साधुवाद🙏
     धन्यवाद 
Adhunik Adhyatmikata, Dhyan, Yoga , Samuchit Jivan shali apnaa kar apne uddhar ke sarthi bane.

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