आप ने नियमित रूप से ध्यान का अभ्यास करते रहने के बावज़ूद भी यह गौर किया होगा कि कभी कभी जब आप ध्यान करने बैठते हो, तो आपका मन विचारों की दुनिया में घूम रहा होता हैI कैसे ध्यान करना है, यह सीखना पहली सीढ़ी है| पर क्या आप इस सीढ़ी से उपर चढ़ना चाहते हो तथा और गहरे अनुभव करना चाहते हो? कुछ सुझावों का अनुसरण करके आप इस दिशा में आगे बढ़ सकते हो |
६ उपाय गहरे ध्यान में जाने के लिए:
- एक और चेहरे पर मुस्कुराहट लाओ | Bring A Smile To Another Face
- मौन की गूँज का अनुभव करो | Experience the sound of Silence
- अपने शरीर को योग आसन के द्वारा तृप्त करो | Pamper Your Body With Some Yoga Twists
- अपने भोजन पर नज़र रखो | Keep A Watch Over Your Food
- अपने आप में गुनगुनाओ | Sing To Yourself
- अपने रोज़ के ध्यान का समय निश्चित रखो| Book Your Daily Meditation Time
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एक और चेहरे पर मुस्कुराहट लाओ
आप को कैसा लगता है, जब आप किसी की मदद करते हो? खुश, संतुष्ट? क्या आप एक सकारात्मक उर्जा का प्रॅस्फुटन महसूस करते हो, जैसे कि आप के भीतर कुछ फैल (विस्तृत हो) रहा है? क्या आप जानते हैं यह क्यों हो रहा है? यह इस लिए होता है क्योंकि जब आप सेवा करते हो और किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हो, तो आप के पास भी अच्छी तरंगे और आशीर्वाद आ जाती हैं|
सेवा पात्रता अथवा योग्यता भी लाती है| और यही पात्रता तुम्हे ध्यान में और गहरे अनुभव देती है| जब मैं सेवा करती हूँ तो उसका सीधा लाभ मुझे ही मिलता हैl संतोष की भावना के रूप में, जिससे मैं प्रसन्न और शांत रहती हूँ | जब मैं शांत और प्रसन्न रहती हूँ तो यह गारंटी है कि ध्यान गहरा लगता है,“ शिल्पी मदन बताती हैं|
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मौन की गूँज का अनुभव करो
कल्पना करो की आप सुबह सुबह छत पर खड़े हो, और उगते हुए सूरज के सौंदर्य से मंत्रमुग्ध, लालिमा से भरे विशाल आकाश की ओर देख रहे हो| क्या आप को इस सौंदर्यता के साथ रह कर एक गहरी शांति और एकता का अनुभव हो रहा है? सौंदर्यता जो आप को शब्दों से परे ले जाता है? आप का मन इतना शांत और स्थिर हो जाता है| क्या कभी सोचा है क्यूँ? यह मौन है जिस में कम विचार आते हैं और आप का मन स्थिर हो जाता है|
अधिकांश समय जब तब हम व्यर्थ ही बातें करते रहते हैं| तब हमारा मन भी बातचीत करता रहता है| हमारी इंद्रियाँ जानकारी संग्रह करने में व्यस्त रहती हैं और हमारे उपर विचारों और भावनाओं की बौछार करने लगती है |
मौन, ध्यान के साथ साथ चलता है| जब आप मौन में होते हो, आपके मन की रफ़्तार कम हो जाती है और आप आसानी से ध्यान में चले जाते हो|मौन और ध्यान को एक साथ अनुभव करने का एक आसान तरीका है ,आर्ट ऑफ लिविंग पार्ट २ कार्यक्रम ( Art of Living Part 2 program)जो हर सप्ताह के अंतिम दिनों में आर्ट ऑफ लिविंग के इंटरनॅशनल केंद्र, बंगलूरु में होता है|
“कभी कभी मैं विचारों के अनंत बहाव में बह जाती हूँ| मौन रखने से धीरे धीरे विचारों की यह बमबारी कम हो जाती है और मैं बहुत गहरे ध्यान का अनुभव करती हूँ“, बताती हैं हितांशी सचदेवा
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अपने शरीर को योग आसन के द्वारा तृप्त करो
क्या आप ने महसूस किया है कि ध्यान के समय कई कई दिन आप बहुत बेचैनी महसूस करते हैं और गहराई में नही जा पाते? लंबे समय तक काम करते रहने से शरीर में अकड़न और दर्द हो जाता है और इसी अकड़न के कारण आप बेचैनी महसूस करते हो| कुछ योगासन करने से शरीर की ये अकड़न चली जाती है और बेचैनी दूर हो जाती है| इसी के साथ आप का मन स्थिर हो जाता है और गहरे ध्यान का अनुभव होता है|
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अपने भोजन पर नज़र रखो
उन दिनों के बारे में सोचो जब आप ने, तले-भुने और माँसाहारी भोजन खाने के बाद ध्यान किया हो और, फिर उन दिनों के बारे में सोचो जब आप ने हल्का और पौष्टिक भोजन खाने के बाद ध्यान किया हो| क्या आप ने अपने दोनों ध्यान में कोई अंतर महसूस किया? यह इसलिये होता है क्यूँकि हमारे भोजन का सीधा असर / प्रभाव हमारे मन पर पड़ता है|
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अपने आप में गुनगुनाओ
क्या आप ने ध्यान दिया है की कैसे विभिन प्रकार के संगीत (music) हमारे मन में अलग अलग भावनाएँ जाग्रत करते है? हम ९०% या उस से ज़्यादा आकाशिय तत्व से बने हुए हैं, इस लिए ध्वनि हमारे उपर एक गहरा असर डालती है| सत्संग में गाने से भावनाएँ पवित्र होती हैं और आप एक विस्तार का अनुभव करते हो| हमारा "छोटा मन" जो निरंतर बातचीत करता रहता है शांत हो जाता है, और जब आप ध्यान करते हो तो आप का गहरा अनुभव होता है|
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अपने रोज़ के ध्यान का समय निश्चित रखो
एक अनुशासन रखने और अभ्यास का सम्मान करने से गहरा ध्यान लगता है| इस लिए अपने रोज़ के ध्यान का समय निश्चित करो और जादू देखो कैसे आप ध्यान की गहराईओं में चले जाते हो|
पहले मैं दिन के अलग- अलग समय पर ध्यान करती थी| पिछले कुछ महीनों से मैं रोज़ दिन में भोजन से पहले ध्यान करती हूँ| मैं ने अनुभव किया कि रोज ध्यान एक ही समय पर करने से मेरा ध्यान बढ़िया और गहरा होता है|" दिव्या सचदेव बताती हैं|
श्री श्री रविशंकर जी के ज्ञान वार्ता से प्रेरित|
प्रियदर्शिनी हरीराम, जो एक सहज समाधि ध्यान की टीचर है, तथा दिव्या सचदेव के बीच बातचीत से प्राप्त|
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